छठ पूजा का इतिहास और कब मनाया जाता है। ? (HISTORY OF CHHATH PUJA)

सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुमधाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं.

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छठ पूजा का इतिहास और कब मनाया जाता? 


हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व दीपावली को पर्वों की माला माना जाता है। पांच दिन तक चलने वाला ये पर्व सिर्फ भैयादूज तक ही सीमित नही है बल्कि यह पर्व छठ  तक चलता है। उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व बेहद अहम पर्व है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ केवल एक पर्व ही नहीं है बल्कि महापर्व है जो कुल चार दिन तक चलता है। नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है।


छठ पूजा का त्योहार कार्तिक के महीने में मनाया जाता है। और ये लगातर सप्तमी तक चलता रहता है। मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी के दिन की जाती है। इस दौरान सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर उपासना की जाती है। इस दौरान इस तरह से आपको पूजा और आराधना करनी चाहिए।

छठ पूजा का इतिहास ( History of Chhath Puja )


छठ पर्व कैसे शुरू हुआ इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं। पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियंवद को लेकर है। कहते हैं राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वो पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा।राजा प्रियंवद ने पुत्र इच्छा के कारण देवी षष्ठी की व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी और तभी से छठ पूजा होती है। 

इस कथा के अलावा एक कथा राम-सीता जी से भी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब राम-सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया । मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगा जल छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। जिसे सीता जी ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी।

मान्यता है की देव माता अदिति ने की थी छठ पूजा। एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम
का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया। 

छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ को सूर्य देवता की बहन हैं। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन धान्य से संपन्न करती हैं।

कब मनाया जाता है छठ पूजा का पर्व ? When Is Chhath Puja Celebrated?


सूर्य देव की आराधना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल षष्ठी व कार्तिक शुक्ल षष्ठी इन दो तिथियों को यह पर्व मनाया जाता है। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाये जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है। कार्तिक छठ पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि कई नामों से जाना जाता है।

छठ पूजा में अस्तगामी और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा भारत में भगवान सूर्य की उपासना का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्‍योहार है।

HAPPY CHHATH PUJA DATE & TIME 2020 TO 2027

छठ पूजा 2020  ,20 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:48
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:26
षष्ठी तिथि आरंभ – 21:58 (19 नवंबर 2020)
षष्ठी तिथि समाप्त – 21:29 (20 नवंबर 2020)

HAPPY CHHATH 2020

छठ पूजा 2021,10 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:40
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:31
षष्ठी तिथि आरंभ – 10:35 (9 नवंबर 2021)
षष्ठी तिथि समाप्त – 08:24 (10 नवंबर 2021)

HAPPY CHHATH 2021

छठ पूजा 2022,30 अक्तूबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:31
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:38
षष्ठी तिथि आरंभ – 05:49 (30 अक्तूबर 2022)
षष्ठी तिथि समाप्त – 03:27 (31 अक्तूबर 2022)

HAPPY CHHATH 2022

छठ पूजा 2023,19 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:46
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:27
षष्ठी तिथि आरंभ – 09:17 (18 नवंबर 2023)
षष्ठी तिथि समाप्त – 07:22 (19 नवंबर 2023)

HAPPY CHHATH 2023

छठ पूजा 2024,7 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:38
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:32
षष्ठी तिथि आरंभ – 00:40 (7 नवंबर 2024)
षष्ठी तिथि समाप्त – 00:34 (8 नवंबर 2024)

HAPPY CHHATH 2024

छठ पूजा 2025,27 अक्तूबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:30
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:40
षष्ठी तिथि आरंभ – 06:04 (27 अक्तूबर 2025)
षष्ठी तिथि समाप्त – 07:59 (28 अक्तूबर 2025)

HAPPY CHHATH 2025

छठ पूजा 2026,15 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:44
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:28
षष्ठी तिथि आरंभ – 23:23 (14 नवंबर 2026)
षष्ठी तिथि समाप्त – 02:00 (16 नवंबर 2026)

HAPPY CHHATH 2026

छठ पूजा 2027,4 नवंबर
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:35
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:35
षष्ठी तिथि आरंभ – 19:31 (03 नवंबर 2027)
षष्ठी तिथि समाप्त – 21:37 (04 नवंबर 2027)

HAPPY CHHATH 2027


क्यों करते हैं छठ पूजा ? Why Do Chhath Puja ?


छठ पूजा करने या उपवास रखने के सबके अपने अपने कारण होते हैं लेकिन मुख्य रूप से छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिये की जाती है। सूर्य देव की कृपा से सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव की कृपा से घर में धन धान्य के भंडार भरे रहते हैं। छठ माई संतान प्रदान करती हैं। सूर्य सी श्रेष्ठ संतान के लिये भी यह उपवास रखा जाता है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये भी इस व्रत को रखा जाता है। छठ पूजा का त्योहार कार्तिक के महीने में मनाया जाता है और ये लगातर सप्तमी तक चलता रहता है। मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी के दिन की जाती है। इस दौरान सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर उपासना की जाती है। इस दौरान इस तरह से आपको पूजा और आराधना करनी चाहिए।


छठ पूजा का महत्व जाने? Importance Of Chhath Puja


छठ पूजा का सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान एक विशेष महत्व है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय दिन का सबसे महत्वपूर्ण समय है जिसके दौरान एक मानव शरीर को सुरक्षित रूप से बिना किसी नुकसान के सौर ऊर्जा प्राप्त हो सकती हैं। यही कारण है कि छठ महोत्सव में सूर्य को संध्या अर्घ्य और विहानिया अर्घ्य देने का एक मिथक है। इस अवधि के दौरान सौर ऊर्जा में पराबैंगनी विकिरण का स्तर कम होता है तो यह मानव शरीर के लिए सुरक्षित है। लोग पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के साथ-साथ आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान सूर्य का शुक्रिया अदा करने के लिये छठ पूजा करते हैं।छठ पूजा का अनुष्ठान मानसिक शांति प्रदान करता है, ऊर्जा का स्तर और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जलन क्रोध की आवृत्ति, साथ ही नकारात्मक भावनाओं को बहुत कम कर देता है। यह भी माना जाता है कि छठ पूजा प्रक्रिया के उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है। इस तरह की मान्यताऍ और रीति-रिवाज छठ अनुष्ठान को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार बनाते हैं।

छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं ?


यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम मे खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।

आप सभी को Indishayari.com के तरफ से छठ कि ढेर सारी शुभकामनाएं और अपने दोस्तों में Share करना ना भूलें।

Written by Sakshi Jaiswal 
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