दीपावली को दीपों का त्योहार कहा जाता है. इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है. इस दिन हर कोई अपने घरों में और उसके बाहर दीपक जलाता है.
हिंदूओं का ये प्रमुख त्योहार है जिसका जश्न पूरे देश में देखने को मिलता है। दिवाली को "रोशनी का पर्व" भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाते हैं साथ ही पूजा के बाद पूरे घर में दीये लगाते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
यह त्यौहार भारत, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, पाकिस्तान-ऑस्ट्रेलिया में मनाया जाता है। नेपाल में यह विशेष धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन नेपाली संवत में नया साल शुरू होता है.
Dipawali Kya hai Aur Kab मनाया जाता है ?
दीपावली अथवा दीवाली, प्रकाश उत्सव है, जो सत्य की जीत व आध्यात्मिक अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। शब्द "दीपावली" का शाब्दिक अर्थ है दीपों (मिट्टी के दीप) की पंक्तियां।
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यह हिंदू कलेन्डर का एक बहुत लोकप्रिय त्यौहार है। यह कार्तिक के 15वें दिन (अक्तूबर/नवम्बर) में मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य में वापस लौटने की स्मृति में मनाया जाता है।
दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। जिसका इंतजार सभी को रहता है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है। जिसमें सबसे पहले धनतेरस, फिर छोटी दीपावली या नरक चतुदर्शी, फिर दीपावली महापर्व, उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और आखिर में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
DIWALI DATE & TIME 2020 TO 2023
क्यों मनाई जाती है दीपावाली ? WHY IS DIWALI CELEBRATED?
दिवाली क्यों मनाई जाती है और इस त्योहार का क्या महत्व है ?दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और विभिन्न मान्यताएं हैं. इन्हीं पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्योहार को मनाने में विभिन्नताएं पाई जाती हैं।
अधिकांश लोगों का मानना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब रावण वध कर अपने 14 सालों के वनवास को पूरा कर अयोध्या लोटे तो नगरवासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया. इसी के बाद से इस दिन को रोशनी के त्योहार दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप में हिरण्यकश्यप का वध किया तो पीड़ित प्रजा ने दीप जलाकर इस खुशी का इजहार किया था. तब से भी दिवाली मनाए जाने की मान्यता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दिवाली से एक दिन पहले चतुर्दशी के दिन किया था. इसके बाद गोकुलवासियों ने खुशी में अगले दिन (अमावस्या) को प्रकाश फैलाकर खुशियां मनाई थी।
दिवाली के दिन इसलिए की जाती है माता लक्ष्मी की पूजा:-
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी क्षीर सागर से प्रकट हुई थीं। माता लक्ष्मी के साथ आरोग्यदेव धन्वंतरि और भगवान कुबेर प्रकट हुए थे. इसलिए दिवाली के दिन इनकी पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन लोग घरों को सजाते हैं और मां लक्ष्मी का स्वागत कर उनकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि दिवाली की रात लक्ष्मी-विष्णु विवाह भी हुआ था।
इन कथाओं और मान्यताओं के अलावा दीपक को भारतीय संस्कृति में सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है. दीपक खुद जलता है और प्रकाश फैलाता है. दीपक की इसी विशेषता के कारण इसे ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है.
कैसे मनाते हैं दीपावली ? HOW IS DIWALI CELEBRATED?
दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है बल्कि इसकी रौनक कुछ दिन पहले से ही दिखनी शुरू हो जाती है। दिवाली आने से पहले ही लोग अपने घरों की अच्छे से साफ-सफाई करने लगते हैं। अपने घरों को अच्छे से सजाते हैं, रंग बिरंगी लाइटों की लड़ियां लगाते हैं। इस दिन पहनने के लिए नए कपड़े खरीदे जाते हैं। दिवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ राम दरबार की भी पूजा की जाती है। पूजा के समय बताशों का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को मिठाई देकर दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं। ये त्योहार परिवार के सभी सदस्य मिलकर मनाते हैं।
दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है।
दिवाली पर्व देश में चाहे जिस कारण से मनाया जाता हो लेकिन सभी में एक ही कॉमन बात है वह है बुराई पर अच्छाई की जीति। अंधकार पर प्रकाश की विजय। शायद यही कारण है सबके रीत रिवाज अलग होने के बाद भी सभी एकता के धागे में बंधे हैं।
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Written by Sakshi Jaiswal
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